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मेरे शहर में तुम खाली से मंका ढूंढते हो

मैं पीने की, मैं खानों में जाने की, आदत बहुत है हमको

VAISE TO TOO MERA SAAYA THA NAHI

VO LADKEE MERE MAN KA (वो लड़की मेरे मन का)

कोई पागल समझता है, कोई दीवाना समझता है

शायर हूं मैं (नई शायरी)

वो लड़की मेरे मन का उजला सा दर्पण

मैं पीने की, मैं खाने में जाने की

शायर हूं मैं

उनको अपनी चाहतों का कुछ यूँ गुमाँ हो बैठा

जाने क्यों तेरी तारीफ करना दिल को

प्यार में तिरस्कार

हम जीने की जद्दोजहद करते रहे

दोस्ती के जमाने (POETRY)

खाली किताबों के पन्नों पर

महान शायर-निदा फ़ाज़ली एक नाम ही काफी है

वो समुंदर की गहराई जैसा है

मेरे एक अल्फाज की बेबसी

ए ग़ालिब बहुत आए होंगे तेरी महफ़िल में

दिवाना हूँ मैं उसका

सच कीअधूरी कहानी

मैं देश में बिखरा हुआ बस एक प्रचार हूंं

तुझ को याद करके

अपनी ही खलिश

वो दो कदम क्या साथ चल दिया
