जम्मू-कश्मीर में बीते काफी समय से इंटरनेट और सोशल मीडिया पर लगी पाबंदियों को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट बैन, धारा 144 को लेकर कड़ी टिप्पणी की है. और एक कमेटी का गठन किया है जो सरकार के द्वारा लगाई गई रोक का रिव्यू करेगी. इसके साथ ही राज्य प्रशासन को आदेश दिया गया है कि सात दिनों के अंदर सभी फैसलों को सार्वजनिक किया जाए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़ी टिप्पणी यह की कि सरकार का कोई आदेश न्यायीय समीक्षा से परे नहीं है, चाहे वह सुरक्षा के नाम पर ही क्यों न लिया गया हो
बता दे कि सर्वोच्च अदालत ने माना कि किसी भी स्थान पर पांच महीनों के लिए इंटरनेट बंद करना बहुत सख्त कदम है. साथ ही कहा कि इंटरनेट पर रोक तभी लग सकती है जब सुरक्षा को बहुत बड़ा खतरा हो. सरकार अपने आदेशों की समीक्षा करे. यदि सरकार कोई फैसला कर रही है तो इसकी जानकारी लोगों को दी जाना चाहिए. और लोगों को असहमति जताने का अधिकार है. सर्वोच्च अदालत ने सरकार से कहा है कि वह अपने आदेशों की सात दिन में समीक्षा करें. इसके बाद जो गैर जरूरी है, उन्हें हटा लें और जो पाबंदियां लगाई जा रही हैं, उनके बारे में अधिसूचना जारी की जाए और लोगों को बताया जाए, ताकि कोई भी उसके खिलाफ चुनौती दे सके.
Advocate Sadan Farasat: The Court said that indefinite internet ban by the State is not permissible under our Constitution and it is an abuse of power. https://t.co/MqFvuZeKAO pic.twitter.com/3cV2YoqQSl
— ANI (@ANI) January 10, 2020
इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने जम्मू-कश्मीर में राज्य प्रशासन से तुरंत ई-बैंकिग शुरू करने को भी कहा है, ताकि आम लोग बैंक से जुड़ा काम निपटा सकें. इसके साथ ही ट्रेड सर्विस पर जो रोक लगी हुई थी, उन्हें हटाने को कहा है ताकि लोगों के व्यापार पर किसी तरह का असर ना हो सके. वही इंटरनेट पाबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. SC की टिप्पणी के मुताबिक, इंटरनेट आज के वक्त में अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है. ऐसे में बेवजह इसपर पाबंदी नहीं लगा सकते हैं, अगर इसपर पाबंदी लगानी है तो आर्टिकल 19 के तहत आने वाले सभी नियमों का पालन होना जरूरी है. साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि धारा 144 को काफी लंबे समय तक लागू नहीं किया जा सकता है, इस तरह लंबे समय तक ऐसा आदेश लागू करना सत्ता के दुरुपयोग को दिखाता है. सरकार ने जो फैसले लिए हैं वह किसी तरह से सटीक नहीं बैठते हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 हटाई गई थी, तब से ही यह धारा 144, इंटरनेट और कई अन्य गतिविधियों पर भी पाबंदी लागू की गई थीं. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं. जिस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने सरकार के खिलाफ यह सब बातें कही है
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