नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की बढ़ती मांग के बीच महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों लोगों ने रविवार को जामिया विश्वविद्यालय के गेट से शाहीन बाग तक सीएए विरोधी मार्च निकाला. इस मार्च में देखने को मिल कि कुछ स्थानीय लोग महात्मा गांधी तो कुछ बी आर आंबेडकर बनकर मार्च का हिस्सा थे, तो वहीं तीन लोगों ने कैदियों की पोशाक में जंजीरों में बंधे हुए शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव बने थे. इसी के साथ प्रदर्शनकारियों ने ‘आज़ादी’ और ‘सीएए-एनआरसी पर हल्ला बोल’ और अन्य नारे लगा रहे थे.
Delhi: People take out a candle march protest against #CitizenshipAmendmentAct, NPR & NRC from outside Jamia Millia Islamia to Shaheen Bagh. pic.twitter.com/qYEmTwY0q3
— ANI (@ANI) January 19, 2020
वहीं शाहीन बाग में हो रहें प्रदर्शन पर सियासत भी खूब हो रही है, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांग को लेकर वहां डटे हुए हैं. हाल में फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने दावा किया था कि 19 जनवरी को शाहीन बाग में कश्मीरी हिंदू नरसंहार का जश्न मनाया जाएगा. हालांकि इस दावे को खारिज करते हुए शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए कहा था कि इस तरह से सिर्फ कलह पैदा करने के लिए अफवाह फैलाई जा रही है. 19 जनवरी के इवेंट का कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के दिन के रूप में कोई लेना-देना नहीं है.
इस के साथ रविवार को शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में मेरठ से भी लोग शामिल हुए. लोगों ने कहा कि सीएए-एनआरसी का विरोध तब तक करेंगे, जब तक बिल को सरकार वापस नहीं लेगी. मेरठ से काफी संख्या में लोग कारी शफीकुर्रहमान कासमी के साथ शाहीन बाग पहुंचे. उधर कारी अफ्फान कासमी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सैय्यद गैय्यरूल हसन रिजवी को ज्ञापन भेजकर सीएए और एनआरसी को वापस लिए जाने की मांग की. शहर में 20 दिसंबर को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद दिए जाने तथा निर्दोषों का उत्पीड़न नहीं होने देने की भी मांग की