अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है. अमेरिका ने बगदाद एयरपोर्ट पर एयर स्ट्राइक की. इस हवाई हमले में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी समेत 8 लोगों के मारे जाने की खबर है. वहीं कासिम के अलावा इराक में ईरानी समर्थक सशस्त्र बल के डिप्टी कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस की भी मौत हो गई है.
बता दें कि, अमेरिकी एयर स्ट्राइक के दौरान गुरुवार देर रात इराक की राजधानी बगदाद में हवाई हमला करके ईरान गार्ड्स के पूर्व प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या को लेकर मीडिया रिपोर्टों के बाद से विदेशी बाजारों समेत एशियाई बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल आया है. इधर इक्स्पीडीएन्सी काउंसिल के प्रमुख और गार्ड्स के पूर्व प्रमुख मोहसिन रेजाई ने ट्वीट किया, ‘सुलेमानी अपने शहीद भाइयों में शामिल हो गए हैं लेकिन हम अमेरिका से बदला लेंगे.
बताया जा रहा है कि बगदाद के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास सुलेमानी का काफिला बगदाद एयरपोर्ट की ओर बढ़ रहा था, इसी दौरान अमेरिका ने हवाई हमला कर दिया. इस हमले में ईरान समर्थित पॉप्युलर मोबलाइजेशन फोर्स के डेप्युटी कमांडर अबू मेहदी अल मुहांदिस के भी मारे जाने की खबर है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने भी सुलेमानी की मौत की पुष्टि कर दी है. अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘विदेश में अमेरिकी कर्मियों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रक्षात्मक कार्रवाई’ करते हुए ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने का आदेश दिया था.
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 3, 2020
तनाव की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी
वहीं अमेरिका और ईरान के बीच तनाव की वजह से कच्चे तेल के भाव में 4 फीसदी की तेजी आ गई है. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले कुछ महीनों से कच्चे तेल के भाव में तेजी देखने को मिल रही है.अक्टूबर 2019 में कच्चे तेल का भाव 59.70 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था. वहीं नवंबर में यह करीब 63 डॉलर हो गया. इसी तरह दिसंबर में कच्चे तेल का भाव 65 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है.
भारत को भी होगा नुकसान
कच्चे तेल के भाव में तेजी की वजह से भारत में महंगाई बढ़ सकती है. दरअसल, कच्चे तेल के भाव बढ़ने की वजह से हमें दूसरे देशों से इसे खरीदने पर खर्च अधिक करना पड़ता है और चालू खाता घाटा भी बढ़ जाता है. कच्चे तेल के भाव में उछाल की वजह से रुपये पर भी दबाव बढ़ जाता है. ऐसे में भारत को तेल खरीदने पर अधिक डॉलर खर्च करने पड़ते हैं.
कच्चे तेल के भाव में तेजी की वजह से तेल कंपनियों पर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ जाता है. पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ने की वजह से महंगाई बढ़ जाती है. महंगाई का असर सब्जी से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट पर भी पड़ता है. महंगाई कम होने की वजह से रिजर्व बैंक पर दबाव कम रहता है और ऐसे में वह ब्याज दर में कटौती कर सकता है. ब्याज दर कटौती का मतलब ये है कि आपके लोन और ईएमआई कम हो जाते हैं.
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