written by Suman Vashisht Bharadwaj ( उसकी खामोश आँखों में )
उसकी खामोश आँखों में, मैं अक्सर अपना पता ढूंढता हुं!
मिला तो नहीं वो मुझे, पर मैं उस के ना मिलने की खुद से ही अक्सर वजह पूछता हुं!
उस से ना मिलने में, भी मेरा ही कोई कसूर होगा!
हां जमाने का कोई तो दस्तूर होगा!
वो वे वजह ही नहीं मुझसे दूर होगा!
मेरे हो के भी ना होने का भ्रम उसे भी जरूर होगा!
हां मुझको यकी है एक दिन वो मेरे करीब होगा
जिस दिन जमाने का बनाया ना कोई दस्तूर होगा!
ना खुदा का ही कोई रूल होगा!
ना मेरा ही कोई कसूर होगा!
उस दिन वो मेरे करीब जरूर होगा!
उस दिन वो मेरे करीब जरूर होगा!
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