Written by Suman Vashisht Bharadwaj
जब अपनी ही खलिश दिल को चुभने लगे!
जब जिंदगी किसी मोड़ पर आकर रुकने लगे!
जब अपने ही जज्बात मुंह मुड़ने लगेे!
जब तेरे हालात तुझ को तोड़ने लगे!
तो समझ लेना ये वो दौर है!
तेरी कहानियों में अब बदलाव का मोड़ है!
अब तुझको खुद के साथ ही चलना है!
गिर के खुद ही संभलना हैै!
नहीं किसी और को तुझ को खुद को ही बदलना है!
ये तेरे जज्बात का वो दौर है!
तेरी कहानियों में बदलाव का मोड़ है!
तेरी कहानियों में बदलाव का मोड़ है!